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Thursday, 21 June 2012
भगवान जगन्नाथ की 135वीं रथयात्रा शुरू
नई नहीं है नीतीश की मोदी से 'खुन्नस'
भले ही देश में राष्ट्रपति चुनाव को
लेकर चर्चा चल रही हो, लेकिन अगले आम चुनाव में 'उदारवादी छवि' के
प्रधानमंत्री होने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान ने बिहार
ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति में राष्ट्रपति की जगह प्रधानमंत्री पद
के उम्मीदवार का मुद्दा गरमा दिया है।
नीतीश के इस बयान ने ऐसी राजनीतिक गर्माहट पैदा की है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बचाव में उतर आए हैं। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब नीतीश और मोदी आमने-सामने की लड़ाई में आ गए हों। इसके पूर्व भी कोसी नदी में आई बाढ़ के बाद गुजरात सरकार ने कोसी पीड़ितों की मदद के लिए पांच करोड़ रुपये की राशि भिजवाई थी। इस मदद को कथित तौर पर एक विज्ञापन के जरिए प्रचारित किए जाने पर नीतीश इतने नाराज हो गए कि उन्होंने सारी की सारी राशि लौटा दी। इस दौरान पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के पहले पटना में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी भाग लेने आए नेताओं को भोज के लिए दिया गया निमंत्रण भी रद्द कर दिया गया था। इस निर्णय को भी मोदी से जोड़कर देखा गया था। वर्ष 2009 में हुए आम चुनाव में भी नीतीश के कारण मोदी बिहार में चुनाव प्रचार करने नहीं आए थे, जबकि मोदी की छवि भाजपा के स्टार प्रचारक की रही है। पिछले महीने दिल्ली में जब दोनों नेता मिले थे तब दोनों ने हाथ जरूर मिलाया था, लेकिन दोनों नेताओं के दिल नहीं मिल पाए। इस मसले पर राज्य के पशुपालन मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह किसी का नाम लिए बगैर कहते हैं, "लोकतंत्र में कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना नहीं चलता है। गठबंधन की राजनीति में मिल बैठकर सहमति बनाई जाती है। आखिर धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा क्या है?" भाजपा के एक अन्य नेता कहते हैं, "वास्तव में यह जंग राजनीति का सिरमौर बनने की है। नीतीश को आभास हो गया था कि भाजपा में अब मोदी की ताकत बढ़ रही है। ऐसे में कई नेता मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट भी करने लगे थे। यही आभास उनको विचलित करने लगा क्योंकि प्रधानमंत्री बनने की उनकी अभिलाषा को ग्रहण लग सकता था।" जदयु के नेता देवेश चंद्र ठाकुर कहते हैं कि आखिर मुख्यमंत्री के बयान में बुराई क्या है। वह कहते हैं, "नीतीश राजग में हैं और अगर उन्होंने अपने विचार प्रकट किए तो किसी को क्या कष्ट है। रही प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा की तो आखिर लोकतंत्र में जनता को भी यह जानने का हक है कि उनके वोट से कौन प्रधानमंत्री बनेगा।" उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश ने अपने एक साक्षात्कार में कहा है कि भाजपा 2014 में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए धर्मनिरपेक्ष छवि वाले उम्मीदवार को पेश करे। उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा और जदयु के बीच गठबंधन है। वह खुद प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं हैं और न ही इसकी उन्हें लालसा है। अपने साक्षत्कार में उन्होंने यह भी कहा है कि राजग का नेता ऐसा व्यक्ति बने जो बिहार जैसे अविकसित राज्यों को विकास में प्राथमिकता दे। प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी को बड़े दल का होना चाहिए। |
डॉ अब्दुल कलम ही राष्ट्रपति बन्ने चाहिए
Public Want
कलाम साहब अगर फिर से देश का राष्ट्रपति बनते है तो ये देश के लिए बहुत अच्छा रहेगा ....कयोकि कलाम साहब देश के लिए जितना योगदान दिए है...उतना शायद ही किसी ने किया होगा ..... वो हर एक भारतवासी के लिए आदर्श है वो भारत को 2020 तकविकसित देखना चाहते है...हम सभी भारतवासी को एक विकिसीत भारत के लिए अपना अपना योगदान देना चाहिए
kalam जी को ही राष्ट्रपति बनाना चाहिए कांग्रेस to चाहे गी ही की गाँधी परिवार का कोई चमचा वहा बैठे ता की वे अपनी मनमानी करते रहे और kasaab जैसे लोग आराम से देस में आ कर अपना तांडव चलाये
डॉ. कलाम ही प्रेसिडेंट पद ke लिए सबसे योग्य है.. इस बात से कोई bhi इनकार नहीं कर सकता.. और हम उन्हे ही अपना प्रेसिडेंट बनते देखना चाहते है.. उनमे देश सेवा aur लोगों ki madad karne का jo जज्बा है वो बहुत ही कम लोगो में देखने को मिलता है.
यह देश keliye बहुत ही शुभ होगा की कलाम जैसा vaqati dobara राष्ट्रपति बनता ha
Wednesday, 20 June 2012
देश के अगले राष्ट्रपति को लेकर सियासी दांवपेंच शुरू हो गया है। कृषि मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लिए आदर्श विकल्प बताकर इसे और रोचक बना दिया है। ऐसे में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम देश के अगले राष्ट्रपति के लिए तगड़े प्रत्याशी के तौर पर उभर रहे हैं।
नए राष्ट्रपति का चुनाव जून में होना है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा राष्टपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 25 जुलाई 2012 को खत्म हो रहा है।
*** गुजरात की जनता और सारे देश की जनता कृपया ध्यान दें ***
केंद्र सरकार की सारी गुप्तचर एजेंसियां IB, CBI, RAW, NIA और राजस्व
ख़ुफ़िया संगठन पूरी ताकत के साथ सक्रिय हैं, साथ ही सैकड़ो NGO भी मोदी
विरोधी अभियान में लगे हुए हैं जिनकी फन्डिंग ईसाई, मुस्लिम देशों सहित
केंद्र की "पोर्न्ग्रेस सरकार" भी कर रही है। कुछ NGO को सरकार बैक डोर से
सरकारी और प्राइवेट कंपनियों द्वारा भी फन्डिंग करवा रही हैं। इ सी
के साथ मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा भी आने वाले गुजरात के चुनाव के
पहले और चुनावों के दौरान मोदी सरकार का चरित्र हनन कर एंटी बीजेपी
ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैस कर कैसे पोर्न्ग्रेस के लिए जमीन तैयार की जाए इसकी
भी तैयारी कर रहा है और मीडिया द्वारा इसकी शुरुआत भी की जा चुकी है।
गुजरात के ग्यारह साल पुराने दंगो को भुनाने के लिए NDTV 24*7 अंग्रेजी
टीवी चैनल को जारी हुई नई सरकारी किश्त।
एक दिन NDTV 24 *7 चैनल
पर गोधरा के बाद के दंगो पर एक प्रोग्राम चल रहा था। इस प्रोग्राम में
ग्यारह साल पहले की घटनाओं पर लम्बी Documentary चल रही थी जिसमें अतीत की
बातों को दिखाया जा रहा था और लोगों से दंगो के बारे में उनकी यादों को
पूछा जा रहा था। गुजरात के चुनाव भी इसी साल है तो समझा जा सकता है की इस
प्रकार के प्रोग्राम से किसको फायदा पहुँचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि
मीडिया के बारे में गाइड लाईन है की वो ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं दिखायेगा
जिससे जनमानस में कोई तनाव पैदा हो। इस प्रोग्राम की एंकर "बिलकिस बानो"
नाम की एक महिला को अपनी गाड़ी में बैठाकर उसके पुराने गाँव की गलियों में
घूम रही थी और कभी कभी उसको गाड़ी में बैठा कर गाँव के लोगों से पूछ रही की
क्या आप बिलकिस बानो को जानते हैं? क्या आप बताएंगे की बिलकिस बानो के
परिवार के साथ क्या हुआ था ? इस प्रोग्राम को देखने के दौरान कई ऐसे लोगों
को भी देखा जो इस चैनल की एंकर के सवालों का नकारत्मक जबाब दे रहे थे, मतलब
वो जबाब जो सही थे ऐसे लोगों से इस एंकर ने ज्यादा बात नहीं की लेकिन जो
लोग बात को लम्बा करके बता रहे थे उनसे खोद खोद कर एक ही सवाल को कई बार
पूछा जा रहा था। अब तक हमने खुद इस चैनल पर ऐसा कोई प्रोग्राम नही देखा
जिसमें साबरमती ट्रेन में मारे गए 'राम भक्तों' के परिवार की व्यथा या
गुजरात दंगो में मारे गए 400 से ज्यादा हिन्दुओं के परिवारों के दुःख दर्द
पर कोई प्रोग्राम दिखाया गया हो, इसको देख कर ऐसा लग रहा है की
'पोर्न्ग्रेस' गुजरात के चुनाव जीतने के लिए अभी से अपनी भांड मीडिया को
हड्डी फेंकना शुरू कर दिया है। तहलका जैसी स्टिंग आपरेशन करने वाली मीडिया
भी अपनी तैयारी में जुटी है, ये तो एक हलकी सी झलक थी जो सब ने देख ली
इसलिए आप सब बहुत गंभीरता के साथ इस मुद्दे को लें पोर्न्ग्रेस आने वाले
चुनाव में हर गन्दी चाल अपनाएगी क्योंकि उसको मालूम है की मोदी को हटाना
इतना आसान नही है, पर भारत की जनता की एक बहुत बड़ी कमजोरी होती वो है शक
करने की आदत और अफवाहों पर बहुत जल्दी ध्यान देने लगती है और पोर्न्ग्रेस
के पास अंतिम चारा ये है की वो चरित्र हनन के द्वारा मोदी सरकार को कमजोर
करने का प्रयास करेगी।
We want APJ Kalam
ये है हिंदुस्तान मेरी जान
*** कलाम साहब के अनछुए पहलू ***
देश में दिल्ली के रायसीना हिल्स पर स्थित महामहिम राष्ट्रपति आवास और कार्यालय का अपना अलग ही महत्व है। अगले माह रिक्त होने वाले इस आवास में कौन काबिज होगा इसके लिए सियासी जोड़ातोड़ आरंभ हो चुका है। टीएमसी नेता ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने पूर्व महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम आगे बढ़ाकर लोगों को चौका दिया। सहज स्वभाव के धनी कलाम साहब भले ही सियासतदारों के निहित स्वार्थों के चलते रायसीना हिल्स दोबारा ना पहुंच पाएं पर उनकी सादगी के बारे में प्रस्तुत हैं कुछ अविस्मरणीय प्रसंग जो महमहिम राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने बताए:
राजग के कार्यकाल में जब 2002 में महामहिम राष्ट्रपति के चयन की बारी आई तब कई नामों पर विचार के बाद भी अटल बिहारी बाजपेयी का मन नहीं माना। इसी दर्मयान मुलायम सिंह यादव ने अंतरिक्ष पर शोध करने वाले एक वैज्ञानिक का नाम सुझाया। यह नाम कलाम साहब का था। उस दर्मयान कलाम साहब सेवानिवृत्ति के उपरांत चेन्नई विश्वविद्यालय के होस्टल के एक छोटे से कमरे में एकाकी तौर पर जीवन यापन कर रहे थे।
अटल जी को ‘मुलायम‘ की बात जम गई और उन्होंने बिना एक क्षण गंवाए हुए राजग और भाजपा के ट्रबल शूटर स्व.प्रमोद महाजन को बुलावा भेजा। प्रधानमंत्री निवास पर अटल जी और स्व.महाजन की चर्चा के उपरांत कलाम साहब की खोज आरंभ की गई। पता चला कि वे चेन्नई में हैं। सब तरफ पतासाजी के बाद भी किसी के पास कलाम साहब से संपर्क करने के लिए नंबर मौजूद नहीं था। इसी बीच रात भी गहराने लगी थी। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी प्रमोद महाजन ने तत्काल ही चेन्नई के जिला कलेक्टर को फोन मिलाया और उनसे कहा कलाम साहब का नंबर मांगा। वहां पता चला कि कलाम साहब तो मोबाईल फोन रखते ही नहीं हैं। चूंकि जिलों में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सीधे सीधे केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग के अधीन रहते हैं अतः प्रमोद महाजन ने कलेक्टर को आदेश दिया कि एक नया मोबाईल खरीदकर कलाम साहब को दिया जाए और अगर वे सो भी रहे हों तो जगाकर उनकी माननीय वज़ीरे आज़म से बात करवाई जाए।
फिर क्या था कलेक्टर ने एक अदद फोन मंगवाया नया नंबर लिया और फिर कलाम साहब की बात पीएमओ में बैठे प्रमोद महाजन से करवाई। प्रमोद महाजन ने सविस्तार सारी बातें कलाम साहब को बताई और उनकी रजामंदी हासिल कर ली। इसके बाद का परिदृश्य सभी के सामने है। कलाम साहब देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय और निर्विवादित महामहिम रहे हैं।
कलाम साहब के बारे में कहा जाता है कि जब तक वे राससीना हिल्स के महामहिम राष्ट्रपति के आवास में रहे तब तक उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को ही प्रथमिकता दी है। कलाम साहब रात का खाना देरी से खाया करते थे। अमूमन महामहिम के प्रोटोकाल के हिसाब से जब तक महामहिम भोजन ना कर लें तब तक कोई भोजन नहीं करता था। महामहिम के तौर पर कलाम साहब ने इस प्रथा को बंद करवा दिया। उनके लिए महज एक रसोसिया ही रात को देर तक जागता था और उन्हें खाना खिलाकर सो जाता था, इसके बाद उसकी दूसरे दिन सुबह की छुट्टी होती थी। इतना ही नहीं महामहिम के तस्मे (जूते के बंद) बांधने के लिए सामंतशाही मानसिकता आज भी इस भवन में है। जब पहली मर्तबा कलाम साहब के तस्मे बांधने पाबंद एक मुलाजिम पहुंचा तो वे बेहद नाराज हुए और कहा कि वे आज तक अपने जूते के बंद खुद ही बांधते आए हैं और आगे भी बांधेंगे।
इस तरह के सरल, सुलभ, ईमानदार, स्वच्छ धवल छवि के व्यक्तित्व को अगर दुबारा देश के शीर्ष पद पर बिठाया जाता है तो निश्चित तौर पर यह देश का सौभाग्य ही माना जाता किन्तु देश पर आधी शताब्दी से ज्यादा राज करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस का नेतृत्व जब से इटली मूल की श्रीमति सोनिया गांधी के हाथों में पहुंचा है तबसे देश की दिशा और दशा ही बदल गई है। अब देश के शीर्ष पद पर काबिल व्यक्तित्व के स्थान पर अपने अपने रबर स्टांप को बिठाने की होड चल पड़ी है।
*** "सेकुलरिस्म" के ठेकेदारों के लिए ***
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ,
मैं सर्व धर्म समभाव सिखाता,
मानवता की बात बताता।
हर धर्मस्थल पर शीश नवाता, आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
वो धरा गोधरा की हो या,
वो जन्मभूमि हो राम की।
हो मथुरा काशी की धरती,
या सोमनाथ के धाम की।
हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
मैं सत्य अहिंसा के दर्शन को,
जीने का आधार बनाता।
बाबर अब्दाली के वंशज को भी,
मैं अपने गले लगाता।
नित नए नए अत्याचारों पर,
धैर्य दिखता, सहता जाता आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ ॥
पर बहुत हो चुकी धैर्य परीक्षा,
अब चन्दन अनल दिखायेगा,
भाई भाई के नारे को,
अब फिर से परखा जायेगा,
गर भाई हो कौरव जैसा,
तो अर्जुन शस्त्र उठाएगा॥
गाँधी का ये गाँधी दर्शन,
अब चक्र सुदर्शन लायेगा,
डंडे वाला बूढ़ा गाँधी,
अब सावरकर बन जायेगा,
शत वर्षों से सहते आये,
अब और नहीं सहा जायेगा,
अब हिन्दुस्थान का हर हिन्दू,
राणा प्रताप बन जायेगा॥
तब बाबर की जेहादी सेना में,
उथल पुथल हो जाएगी,
गुजरात की कुछ बीती यादें,
फिर से दोहराई जाएँगी,
जौहर की बाते बीत गयी,
अब चंडी शस्त्र उठाएगी,
गर हुआ जरुरी तो बहनें,
प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी॥
पर पांडव ने भी कौरव को,
अंतिम सन्देश सुनाया था।
खुद योगेश्वर ने जाकर भी,
दुर्योधन को समझाया था।
तुम हिंसक आतातायी हो,
तुम कौरव हो पर भाई हो।
यदि जीना है तो जीने दो,
या मरने को तैयार रहो,
ये बात सभी को समझाता, मैं आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
क्या सनातन संस्कृति का अपमान करना ही 'सेकुलरिस्म' है ??
सोचिए जरा !!
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ,
मैं सर्व धर्म समभाव सिखाता,
मानवता की बात बताता।
हर धर्मस्थल पर शीश नवाता, आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
वो धरा गोधरा की हो या,
वो जन्मभूमि हो राम की।
हो मथुरा काशी की धरती,
या सोमनाथ के धाम की।
हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
मैं सत्य अहिंसा के दर्शन को,
जीने का आधार बनाता।
बाबर अब्दाली के वंशज को भी,
मैं अपने गले लगाता।
नित नए नए अत्याचारों पर,
धैर्य दिखता, सहता जाता आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ ॥
पर बहुत हो चुकी धैर्य परीक्षा,
अब चन्दन अनल दिखायेगा,
भाई भाई के नारे को,
अब फिर से परखा जायेगा,
गर भाई हो कौरव जैसा,
तो अर्जुन शस्त्र उठाएगा॥
गाँधी का ये गाँधी दर्शन,
अब चक्र सुदर्शन लायेगा,
डंडे वाला बूढ़ा गाँधी,
अब सावरकर बन जायेगा,
शत वर्षों से सहते आये,
अब और नहीं सहा जायेगा,
अब हिन्दुस्थान का हर हिन्दू,
राणा प्रताप बन जायेगा॥
तब बाबर की जेहादी सेना में,
उथल पुथल हो जाएगी,
गुजरात की कुछ बीती यादें,
फिर से दोहराई जाएँगी,
जौहर की बाते बीत गयी,
अब चंडी शस्त्र उठाएगी,
गर हुआ जरुरी तो बहनें,
प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी॥
पर पांडव ने भी कौरव को,
अंतिम सन्देश सुनाया था।
खुद योगेश्वर ने जाकर भी,
दुर्योधन को समझाया था।
तुम हिंसक आतातायी हो,
तुम कौरव हो पर भाई हो।
यदि जीना है तो जीने दो,
या मरने को तैयार रहो,
ये बात सभी को समझाता, मैं आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का हिन्दू हूँ, मैं आतंकी हूँ॥
क्या सनातन संस्कृति का अपमान करना ही 'सेकुलरिस्म' है ??
सोचिए जरा !!
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